नागरिकता संशोधन विधेयक से सावधान - केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है मगर इसका चारों तरफ विरोध हो रहा है।
पूर्वोत्तर राज्यों खास तौर पर असम में तो लोग सड़कों पर उतर आए हैं और करो या मरो की तर्ज़ पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों और वर्गों से भी विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं।
असम और पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध की वज़ह भाषा और संस्कृति को ख़तरा है, मगर इस ख़तरनाक़ बिल के नतीजे पूरे देश को भुगतने पड़ सकते हैं।
इससे देश अंदर ही अंदर विभाजित हो जाएगा। दरअसल, सावरकर द्वारा दिया गया दो राष्ट्रों का सिद्धांत जिसने देश विभाजन की नींव रखी एक बार फिर विभाजन की वजह बन रही है।
ये सावरकर की विचारधारा ही है जिस पर सरकार चल रही है और वह अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलकर उन्हें दोयम दर्ज़े का नागरििक बना देना चाहती है।
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डॉक्टर मुकेश कुमार जाने माने टीवी पत्रकार, लेखक, एकेडिमीशियन एवं कवि हैं। उन्होंने कई न्यूज़ चैनल शुरू किए हैं और बतौर ऐंकर हज़ारों टीवी कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं।
उनकी एक पहचान कवि के तौर पर भी है। उनका पहला कविता संग्रह साधो, जग बौराना काफी लोकप्रिय हुआ था और जल्द ही दूसरा कविता संग्रह प्रकाशित होने वाला है।
वैसे विभिन्न विषयों पर उनकी एक दर्ज़न किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।
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