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केरल: उत्साह के साथ मनाया जा रहा है 10 दिनों तक चलने वाला ओणम का त्योहार, परंपरा और आधुनिकता का संगम

2025-09-05 4 Dailymotion

पूकणम, ओणकोड़ी और ओणसद्या - ये हैं ओणम की भावनाओं को गहराई तक पहुंचाने वाली तीन खासियत. दस दिन चलने वाला ओणम केरल के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में एक है. इसे सभी धर्मों और वर्गों के लोग धूमधाम से मनाते हैं. ओणम फसलों का त्योहार है. इसके साथ एक कहावत भी जुड़ी है. लोककथाओं के मुताबिक ओणम पौराणिक राक्षस राजा महाबली की वापसी का त्योहार है. उनके शासनकाल में सभी सुखी थे और बराबर थे. कहते हैं कि उनकी लोकप्रियता से जलकर देवताओं ने उन्हें पाताल लोक भेजने के लिए भगवान विष्णु की मदद ली. पाताल लोक जाने से पहले महाबली ने विष्णु से वरदान लिया कि वे हर साल तिरुवोणम के दिन अपनी प्रजा से मिलेंगे. ओणम के दौरान, केरल की पारंपरिक और अनूठी कलाओं, समकालिक कलाओं, संगीत-नृत्य के अलावा मार्शल आर्ट का भी प्रदर्शन होता है. पारंपरिक नृत्य शैलियों में तिरुवादिरकली, पुलिकली और कुम्माटिकली शामिल हैं। इनके साथ पारंपरिक ताल वाद्यों का समूह, चेंडा मेलम लय देते हैं. पारंपरिक रूप से लोग सामूहिक तौर पर सभी गतिविधियों में शामिल होते हैं. पूरे दस दिन घरों और दफ्तरों में 'पुक्कलम' या फूलों की सजावट की जाती है. लोग 'ओणसद्या' की भी तैयारी करते हैं। ये एक भव्य शाकाहारी भोज होता है, जिसमें सांभर, अवियल, ओलन, तोरन, इंजिपुड़ी और पायसम मिठाई समेत 20 से ज्यादा पकवान होते हैं. पेड़ों पर रस्सी के झूले लटकाए जाते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं. परिवार के सदस्यों और दोस्तों को उपहार में 'कसवु' दिया जाता है.